“एक कहानी प्यार से लेकर सफलता तक की”

अशोक नाम का एक युवक था जो एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखता था। उसके परिवार में उसकी छोटी बहन और माता-पिता रहते थे। अशोक और उसका परिवार एक छोटे से गाँव में रहते थे। अशोक बचपन से ही सपना देखा करता था कि एक दिन वह बड़ा होकर एक सफल इंसान बनेगा।

अशोक गाँव की स्कूल में पढ़ता था, खेतों में काम करता था और घर के कामों में भी थोड़ा बहुत हाथ बंटाता था। वह रोज़ सपना देखा करता था कि एक दिन वह एक सफल व्यक्ति बनेगा और शहर में एक अच्छा सा घर खरीदेगा, जहाँ वह अपने परिवार के साथ सुख और शांति से रहेगा। वह रोज़ अपने आप से कहता कि “मैं एक अच्छा और सफल इंसान बनकर दिखाऊँगा।”

जिस स्कूल में अशोक पढ़ता था, वहाँ एक शिक्षक थे जिनका परिवार अमीर था। उनके पास अच्छा घर, गाड़ियाँ सब कुछ था। उनकी एक बेटी थी, राधा, जो अशोक के साथ उसी स्कूल में पढ़ने आती थी। अशोक और राधा की बहुत अच्छी दोस्ती थी।

अशोक के पास अपनी किताबें खरीदने तक के पैसे नहीं होते थे, लेकिन वह राधा से किताबें माँगकर पढ़ाई करता था। राधा और अशोक साथ में स्कूल आते-जाते थे। अशोक सुबह खेतों में काम करता और उसके बाद स्कूल जाया करता।


समय बीतता गया और अशोक और राधा कॉलेज जाने लगे। दोनों बड़े हो गए। जैसे-जैसे वे बड़े हुए, उनकी दोस्ती प्यार में बदलने लगी। धीरे-धीरे वे एक-दूसरे से प्यार करने लगे।

अशोक और राधा स्कूल की तरह ही कॉलेज भी साथ-साथ आते-जाते थे, प्रोजेक्ट पर काम करते थे और कहीं-कहीं घूमने भी जाते थे। वे एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे। ऐसे ही दो-तीन साल बीत गए।

फिर कॉलेज का आखिरी साल आ गया। उन्होंने तय किया कि अब वे अपने घर वालों से बात करके शादी कर लेंगे। उन्होंने अपने-अपने घर पर बात की। अशोक के परिवार वाले मान गए, लेकिन राधा के पिता, जो शिक्षक थे और अशोक के परिवार को अच्छी तरह जानते थे, उन्होंने राधा से कहा, “मैं तुम्हारी शादी अशोक से नहीं कराऊंगा। उसके घर में खाना भी मुश्किल से मिलता है और उनके पास रहने के लिए घर भी नहीं है। तुम वहाँ कैसे रहोगी? अशोक के पास कुछ भी नहीं है।”

राधा ने कहा, “पापा, मुझे अशोक से बहुत प्यार है और मैं उससे बहुत प्यार करती हूँ। अभी उसके पास कुछ नहीं है, तो क्या हुआ? हम दोनों मिलकर अपनी जिंदगी सफल बनाएंगे।”

राधा के पिताजी ने कहा, “सिर्फ प्यार से जीवन नहीं चलता। भविष्य भी कुछ होना चाहिए।”

यह सुनकर राधा बहुत उदास हो गई। अगले दिन वह कॉलेज गई और अशोक को अपने पिताजी की बातें बताईं।

अशोक ने यह सुनकर राधा से कहा, “अब तो मैं सफल व्यक्ति बनकर रहूंगा, फिर तुम्हारे साथ शादी करूंगा। तुम मेरे लिए कितने साल इंतजार कर सकती हो?”

राधा ने कहा, “तुम जितने भी साल इंतजार करना चाहो, मैं इंतजार करूंगी। लेकिन तुम्हारे सिवा किसी और से शादी नहीं करूंगी।”

यह सुनकर अशोक ने प्रण लिया कि राधा के प्यार के लिए वह सफल होकर ही रहेगा।

उसके बाद वे दोनों अपने-अपने घर चले गए। राधा ने अपने घर जाकर कहा, “अशोक एक अच्छा और सफल व्यक्ति बनकर ही मुझसे शादी करेगा, और मैं भी सिर्फ अशोक से ही शादी करूंगी।”

यह सुनकर राधा के पिता ने कहा, “अगर तुम किसी और से शादी नहीं करोगी तो मैं अब से तुमसे बात नहीं करूंगा।”

यह सुनकर राधा की आंखों में आँसू आ गए, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और अशोक का इंतजार करने लगी।


परिवर्तन

अशोक शहर गया और एक गाड़ी के शोरूम के स्पेयर पार्ट्स विभाग में नौकरी मिली। वहाँ उसने दो-तीन साल तक काम किया और अच्छा अनुभव हासिल किया। फिर एक दिन वह अपने गाँव वापस आया। उसने अपनी नौकरी से जो थोड़े-थोड़े पैसे बचाए थे और गाँव में अपनी छोटी सी जमीन का टुकड़ा बेच दिया।

फिर उसने ठाना कि वह शहर जाकर एक स्पेयर पार्ट्स की छोटी दुकान खोलेगा। शहर जाने से पहले राधा उससे मिलने आई। अशोक ने राधा से कहा, “राधा, अभी तुम मेरे लिए दो-तीन साल और इंतजार करो।”

राधा ने कहा, “चाहे जितने भी साल लगें, मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी।”

अशोक ने वादा किया कि वह जल्दी वापस लौटेगा। इसके बाद वह शहर चला गया।

शहर में उसने अपनी स्पेयर पार्ट्स की दुकान खोलने के लिए एक दोस्त की मदद से एक दुकान खरीदी और वहाँ स्पेयर पार्ट्स बेचने लगा। धीरे-धीरे उसकी दुकान आगे बढ़ने लगी और उसके स्पेयर पार्ट्स खूब बिकने लगे।

अशोक ने अपने परिवार को भी शहर ले आया। उसके पिता उसकी मदद करने लगे, उसकी बहन और माँ घर संभालती थीं। अशोक ने बहुत मेहनत की। कुछ समय बाद उसकी छोटी दुकान अब एक बड़े शोरूम में बदल गई और अशोक की जिंदगी भी बदल गई।

अशोक एक सफल व्यक्ति बन गया। वह वही सपना पूरा कर पाया था जो वह बचपन से देखता था — बड़ा और सफल इंसान बनना। उसने अपने घर के लिए एक बड़ा मकान खरीदा, जिसमें गाड़ियाँ भी ज्यादा थीं, जो राधा के पिता के घर से भी ज्यादा थीं।

चार साल बीत गए। एक दिन अशोक अपने गाँव गया और राधा के घर गया। गाड़ी से उतरते ही राधा के पिता उसे देखकर चौंक गए और राधा बहुत खुश हुई।

अशोक ने राधा के पिता से कहा, “पिताजी, अब प्यार और भविष्य दोनों से जीवन चलेगा।”

यह सुनकर राधा के पिता चुप हो गए। उन्होंने अशोक से माफी मांगी और कहा, “मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।”

धीरे-धीरे उन्होंने अशोक को कहा, “अपने परिवार को बुलाओ, हम शादी की तारीख तय करते हैं।”

अशोक ने अपने माता-पिता को फोन किया और गाँव बुलाया। अशोक और राधा दोनों परिवार एक साथ आए और शादी की तारीखें, रीति-रिवाज तय किए गए।

धूमधाम से राधा और अशोक की शादी हुई। शादी के बाद अशोक राधा को लेकर शहर रहने चला गया और राधा का परिवार भी शहर में रहने लगा।


कुछ दिन बीत गए। एक दिन अशोक ने राधा को पास बैठाकर कहा, “तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद।”

राधा ने पूछा, “क्यों?”

अशोक ने धीरे से कहा, “अगर तुम्हारी जगह कोई और लड़की होती, तो वह इतना सब इंतजार नहीं करती और उसके पिता जहाँ कहीं भी शादी कर देते। लेकिन तुमने मेरा इंतजार किया और मुझ पर विश्वास रखा। इसके लिए तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद।”

प्रेरणा

जहाँ प्यार होता है, वहाँ आत्मविश्वास और संघर्ष भी होते हैं। वहाँ आपकी दोनों की ज़िन्दगी की परीक्षा जरूर होती है। उस परीक्षा में आपको पास होना ही होता है, तभी आपको सफलता और प्यार दोनों मिलते हैं।

जैसे रिश्ते के लिए प्यार और भावना जरूरी होती है, वैसे ही सफलता पाने के लिए अपने ऊपर विश्वास और खुद को बदलने की भी ज़रूरत होती है।

अगर प्यार सच्चा हो, तो इंसान खुद को बदल सकता है, पूरी दुनिया के सामने खड़ा रहकर लड़ सकता है और सफलता भी हासिल कर सकता है।

हर लड़की को अपने पार्टनर पर पूरा विश्वास होना चाहिए और उसे पूरा साथ देना चाहिए, ताकि उसका साथी जीवन में सफलता प्राप्त कर सके।

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